Diya Jethwani

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लेखनी प्रतियोगिता -27-May-2023.... अनोखी शादी..

मैं कुछ नहीं जानता आदित्य.... मैं जो महसूस करता हूँ कह दिया... अब इसमें सही क्या हैं गलत क्या हैं... मुझे नहीं मालूम..। 



वैभव मैं कहां तुझे गलत कह रहा हूँ... जो अहसास तुझे हैं... वो मुझे भी हैं .... पर हमारे घर के लोग... ये समाज...अड़ोस पड़ोस.... रिश्तेदार....। 


मैं सब जानता हूँ.... समझता भी हूँ.... लेकिन हम कोई पहले इंसान तो नहीं हैं ना.... जो ऐसा कर रहें हैं...। विदेशों में तो ये सब आम सी बात हैं.....।


हम विदेश में नहीं रहते.... यहाँ रहते हैं....। यहाँ के कल्चर... यहाँ का लॉ.... सब कुछ अलग हैं...। तु बात को समझ....। 



आदित्य....जमाना बहुत बदल चुका हैं....।हमारे कानून ने भी अब इस पर मोहर लगा दी हैं....।सिर्फ समाज के डर से हम अलग तो नहीं हो सकते ना....। आदित्य मैं किसी हवस के लिए तुझसे ये सब नहीं कह रहा हूँ... । मैं सिर्फ इसलिए कह रहा हूँ... ताकि मैं अपने इस रिश्ते को एक नाम दे सकूँ..। 


प्यार से बड़ा ओर क्या नाम होगा वैभव....। हम दोनों एक दूसरे के लिए फील करते हैं.... सब बातें शेयर करते हैं..। फिर ये..... शादी...!! 

आदित्य.... मैं ये सिर्फ इसलिए कह रहा हूँ.... क्योंकि मेरे परिवार वाले इस बात के लिए कभी राजी़ नहीं होंगे... वो आए दिन मुझे शादी के लिए बोलते रहते हैं...। अगर मैंने ये कदम नहीं उठाया तो जबरदस्ती मुझे मंडप में भी बिठा देंगे...। 


तु कोई छोटा बच्चा हैं क्या.... जो तेरे साथ जबरदस्ती करेंगे...। घरवाले तो मुझसे भी जिद्द करते हैं... लेकिन मैं संभाल रहा हूँ ना...। 



इसका मतलब तु शादी नहीं करना चाहता...? 


मैंने ऐसा कब कहा.... लेकिन हम बिना किसी रिश्ते के भी हमेशा साथ रह सकते हैं वैभव...। ओर हमारी इस शादी को वैसे भी कोई नहीं मानेगा...। 


ठीक हैं.... अब तुझे कभी नहीं बोलूँगा.... लेकिन अब मैं अपने परिवार वालों को इस बारे में जरूर बताऊंगा...। मैं रोज़ रोज़ उनकी शादी शादी से पक गया हूँ...। फिर जो होगा देखा जाएगा....। ज्यादा से ज्यादा मुझे मार डालेंगे ना...। 


वैभव को गुस्से और नाराज होते देख आदित्य उसके पास गया ओर उसका हाथ थामकर कहा :- चल......। 


कहाँ..? 


मंदिर.... मैं तुझे नाराज नहीं कर सकता... हम अभी का अभी मंदिर चलते हैं ओर भगवान को साक्षी मानकर एक दूसरे का हो जाने की कसम खाते हैं...। 

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ना कोई पंडित, ना मंत्रोच्चारण, ना विधी विधान.....। आदित्य और वैभव भगवान के समक्ष माथा टेककर बोले :- तु तो सब जानता हैं भगवन.... ये सृष्टि, इस सृष्टि की हर एक चीज़ तेरी ही रचित हैं..। प्यार भी तुने बनाया हैं.... वो भी तेरी ही रचना हैं.... अब वो हमें एक दूसरे से हो गया हैं... ओर वो भी बेपनाह... हम एक दूसरे के बिना रहने का सोच ही नहीं सकते... हमें नहीं पता ये सही हैं या गलत... । हम आज से बस एक दूसरे का हमेशा के लिए हो जाना चाहते हैं..। हम आपको साक्षी मानकर एक दूसरे को अपना जीवनसाथी मानते हैं...। हम ये वरमाला पहनाकर इस पवित्र बंधन में बंध रहें हैं....। कोई हमें समझे ना समझे.. साथ दे ना दे.... आप हमारे साथ रहना भगवन....। 

वो दोनों एक अनोखी शादी करके हमेशा के लिए एक दूसरे के हो चुकें थे....। 


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आज के इस दौर में यह मुद्बा अभी भी बहुत विचारणीय हैं...। बहुत कम लोग ही इस बात का समर्थन करते हैं...। कोई इसे सृष्टि के खिलाफ मानता हैं तो कोई दकियानूसी चलन.....। लेकिन प्यार.....उसका क्या....। 
प्यार कभी भी.... किसी से भी.... कहीं भी हो सकता हैं... ओर प्यार से पवित्र कोई अहसास नहीं....। 

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ये कहानी काल्पनिक हैं.... ओर मेरा मकसद किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं हैं...। कृपया विवेक से काम ले....। 



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6 Comments

madhura

25-Jun-2023 12:08 PM

good one

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kashish

17-Jun-2023 04:53 PM

nice

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Punam verma

28-May-2023 08:54 AM

Very nice

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